शनिवार, 15 अगस्त 2015


वासुदेव बलवंत फड़के 

वासुदेव बलवंत फड़के का जन्म 4 नवम्बर ,1845 ई. को महाराष्ट्र मे हुआ था।
 ये ब्रिटिश सरकार के खिलाफ सशस्त्र लड़ाई की सुरुआत करने वाले भारत के पहले क्रन्तिकारी थे।  फड़के नौकरी करते थे 1871  ई. में एक दिन फड़के को अपनी माँ की गंभीर बीमारी का तार मिला।  तार लेकर वे अंग्रेज़ अधिकारी के पास छुट्टी मांगने के लिए गए , लकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली।  फड़के दूसरे दिन अपने गाँव चले गए गाव जाने पर उन्हें पता चला की बिना उनका मुँह देखे माँ चल बसी है।  इसके बाद फड़के ने नौकरी छोड़ दी और अंग्रेज़ो के खिलाफ क्रांति की तैयारी करने लगे।  इन्हो ने पुरे महाराष्ट्र में घूम-घूम कर नवयुवको को संघटित करने का प्रयास किया , पर सफलता नहीं मिली। तब इन्होने वनवासी जनजाति को संगठित किया और अंग्रेज़ो के खिलाफ लड़ाई को आगे बढ़ाया।  फड़के बीमारी की हालत में 20 जुलाई 1879 को गिरफ्तार कर लिए गए।  उन पर राजद्रोह का मुकदमा चला और आजीवन कालापानी का सजा देकर उन्हें जेल भेज दिया गया।  जेल में फड़के को कड़ी शारारिक यातनाए दी गई।  इन यातनाओ के कारण 17 फरवरी 1883  ई. को इनकी मृत्यु हो गई।  

शुक्रवार, 14 अगस्त 2015

Freedom fighters of India

बाबू गेनू 

बाबू गेनू स्वदेशी के बड़े समर्थक थे।  इनका जन्म 1908 ई में एक किसान परिवार में हुआ था।  ये मुंबई के एक कॉटन मिल में काम करते थे।  ये विदेशी कपड़ो और चीजो के भारत में मांगे जाने का विरोध करते थे।  12 दिसंबर 1930  को एक अंग्रेज़ व्यापारी जार्ज फ़रज़ीअर  विदेशी कपड़ो से भरा एक ट्रक मुंबई बंदरगाह भेज रहा था।  इस अंग्रेज़ व्यापारी की सहायता के लिए पुलिस भी आई  हुई थी।  बाबू गेनू ट्रक के सामने खड़े हो गए और 'महात्मा गांधी की जय ' नारे लगाने लगे।  सब लोगो ने उनसे ट्रक के सामने से हट जाने के लिए कहा ,पर वे नहीं हटे। पुलिस अफसर ने ड्राइवर को ट्रक बाबू गेनू पर चढ़ा देने का आर्डर दिया , लेकिन ड्राइवर बलबीर सिंह ने भारतीय भाई पर ट्रक चढ़ने से मन कर दिया।  उसके बाद वह पुलिस ऑफिसर खुद ड्राइवर की सीट पर बैठ गया और ट्रक बाबू गेनू पर चढ़ा दिया , जिससे उनकी मौत हो गई।