बाबू गेनू स्वदेशी के बड़े समर्थक थे। इनका जन्म
1908 ई में एक किसान परिवार में हुआ था। ये मुंबई के एक कॉटन मिल में काम करते थे। ये विदेशी कपड़ो और चीजो के भारत में मांगे जाने का विरोध करते थे।
12 दिसंबर 1930 को एक अंग्रेज़ व्यापारी जार्ज फ़रज़ीअर विदेशी कपड़ो से भरा एक ट्रक
मुंबई बंदरगाह भेज रहा था। इस अंग्रेज़ व्यापारी की सहायता के लिए पुलिस भी आई हुई थी।
बाबू गेनू ट्रक के सामने खड़े हो गए और 'महात्मा गांधी की जय ' नारे लगाने लगे। सब लोगो ने उनसे ट्रक के सामने से हट जाने के लिए कहा ,पर वे नहीं हटे। पुलिस अफसर ने ड्राइवर को ट्रक बाबू गेनू पर चढ़ा देने का आर्डर दिया , लेकिन ड्राइवर बलबीर सिंह ने भारतीय भाई पर ट्रक चढ़ने से मन कर दिया। उसके बाद वह पुलिस ऑफिसर खुद ड्राइवर की सीट पर बैठ गया और ट्रक
बाबू गेनू पर चढ़ा दिया , जिससे उनकी मौत हो गई।
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